1. दया का पुल
एक बार की बात है एक नन्हीं गिलहरी थी। एक दिन वह नदी किनारे खेल रही थी कि वह नदी में गिर गई। वह डूबने लगी तो उसने मदद के लिए चिल्लाना शुरू किया।
नदी के किनारे एक बंदर बैठा था। उसने गिलहरी को देखा तो उसे तुरंत बचाने के लिए कूद गया। उसने गिलहरी को अपनी पीठ पर बैठा लिया और नदी के उस पार ले गया।
गिलहरी बंदर के बहुत शुक्रगुज़ार थी। उसने बंदर से कहा, “आपने मेरी जान बचा ली है। मैं आपका कभी भी बदला नहीं चुका पाऊंगी।”
बंदर ने कहा, “कोई बात नहीं। मुझे खुशी है कि मैं तुम्हारी मदद कर सका।”
कुछ दिनों बाद बंदर जंगल में घूम रहा था कि वह शिकारी के जाल में फंस गया। जाल बहुत मजबूत था और बंदर उससे छूट नहीं पा रहा था।
बंदर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। गिलहरी जंगल में घूम रही थी और उसने बंदर की आवाज़ सुनी। वह बंदर के पास गई और उसे जाल में फंसा हुआ देखा।
गिलहरी को तुरंत बंदर को बचाने का विचार आया। उसने अपने तीखे दांतों से जाल को काटना शुरू किया। थोड़ी देर में गिलहरी ने जाल को काट दिया और बंदर को मुक्त करा दिया।
बंदर गिलहरी के बहुत शुक्रगुज़ार था। उसने गिलहरी से कहा, “तुमने मेरी जान बचा ली है। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि तुम मेरी दोस्त हो।”
नैतिक शिक्षा: दया और मदद करने की भावना बहुत अच्छी होती है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं तो उन्हें खुशी होती है और हमें भी खुशी मिलती है।
2. खिलता धैर्य
एक बार की बात है आर्यन नाम का एक लड़का था। वह बहुत ही जिद्दी और जल्दबाज था। वह चाहता था कि उसके काम हमेशा तुरंत हो जाएं।
एक दिन आर्यन ने अपनी माँ से कहा, “माँ, मैं स्कूल नहीं जाना चाहता। मैं घर पर ही रहना चाहता हूं और खेलना चाहता हूं।”
माँ ने कहा, “बेटा, स्कूल जाना जरूरी है। वहीं तुम पढ़ाई करोगे और आगे बढ़ोगे।”
लेकिन आर्यन नहीं माना। वह अपनी माँ से बहस करने लगा। उसने अपनी माँ को बहुत सारी बुरी बातें कही।
माँ बहुत दुखी हुई। उसने आर्यन को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना। आखिर में माँ ने हार मान ली और आर्यन को घर पर ही रहने दिया।
आर्यन घर पर ही रहा और खेलने लगा। लेकिन थोड़ी देर बाद उसे बोर होने लगा। वह खेल-खेल कर थक गया। उसने किताबें पढ़ने की कोशिश की, लेकिन उसका मन नहीं लगा।
आर्यन को समझ में आ गया कि स्कूल जाना कितना जरूरी है। उसने अपनी माँ से माफी मांगी और कहा कि वह अब से नियमित रूप से स्कूल जाएगा।
नैतिक शिक्षा: धैर्य एक बहुत ही अच्छा गुण है। जब हम धैर्य रखते हैं तो हम अपने कामों को अच्छी तरह से कर पाते हैं। धैर्य रखने से हमें सफलता मिलती है।
3. छोटे बंदर को आई समझ
एक बार की बात है एक छोटा बंदर था। वह बहुत ही शरारती और जिज्ञासु था। वह हमेशा पेड़ों पर चढ़ता रहता और फल-फूल तोड़कर खाता रहता।
एक दिन छोटा बंदर एक बगीचे में घुस गया। बगीचे में बहुत सारे पेड़ थे और उन पेड़ों पर बहुत सारे फल लगे थे। छोटा बंदर बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि आज वह बहुत सारे फल खाएगा।
छोटा बंदर एक पेड़ पर चढ़ गया और उसने एक आम तोड़ा। वह आम बहुत ही स्वादिष्ट था। उसने एक और आम तोड़ा और फिर एक और। उसने इतने आम खाए कि उसकी पेट भर गया।
लेकिन छोटा बंदर अभी भी नहीं रुका। वह और फल तोड़ता रहा। उसने इतने फल तोड़ लिए कि वह उन सबको खा नहीं सकता था।
छोटे बंदर को समझ में नहीं आया कि क्या करे। वह फल लेकर पेड़ से नीचे नहीं उतर सकता था। वह पेड़ पर ही फंस गया।
छोटे बंदर ने अपनी गलती समझ ली। उसने महसूस किया कि उसे इतने सारे फल नहीं तोड़ने चाहिए थे। उसे समझ में आया कि जब हम अपनी जरूरत से ज्यादा लेते हैं तो वह दूसरों के लिए नुकसानदायक होता है।
नैतिक शिक्षा: हमें अपनी जरूरत से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। हमें हमेशा दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए।
4. कुकी ऑफ काइंडनेस
एक बार की बात है एक छोटी लड़की थी। उसका नाम मीरा था। मीरा को कुकीज़ बहुत पसंद थी। एक दिन मीरा की माँ ने उसे एक कुकी दी।
मीरा बहुत खुश हुई। उसने कुकी को अपने हाथ में लिया और उसे देखने लगी। कुकी बहुत ही स्वादिष्ट लग रही थी।
मीरा को एक विचार आया। उसने वह कुकी अपने दोस्त को दे दी। उसके दोस्त का नाम मोहन था। मोहन को भी कुकीज़ बहुत पसंद थी।
मोहन को कुकी पाकर बहुत खुशी हुई। उसने मीरा को धन्यवाद दिया और कुकी को खा लिया।
मोहन ने एक और विचार किया। उसने अपनी कुकी अपने दोस्त को दे दी। उसके दोस्त का नाम राहुल था। राहुल को भी कुकीज़ बहुत पसंद थी।
राहुल को कुकी पाकर बहुत खुशी हुई। उसने मोहन को धन्यवाद दिया और कुकी को खा लिया।
इस तरह से कुकी एक बच्चे से दूसरे बच्चे तक जाती रही। सभी बच्चों को कुकी पाकर बहुत खुशी हुई।
नैतिक शिक्षा: जब हम दूसरों के साथ दयालुता से पेश आते हैं तो सभी को खुशी होती है।
5. कैफ़े का खाना
एक बार की बात है एक आदमी था। वह बहुत ही अमीर था। वह हमेशा महंगे रेस्तरां में खाना खाता था।
एक दिन आदमी को एक कैफ़े दिखाई दिया। उसने सोचा कि वह कैफ़े में जाकर खाना खाएगा। आदमी कैफ़े में गया और उसने एक टेबल पर बैठकर खाना ऑर्डर किया।
थोड़ी देर में आदमी का खाना आ गया। उसने खाना खाना शुरू किया। खाना बहुत ही स्वादिष्ट था। आदमी ने पूरा खाना खा लिया।
खाना खाने के बाद आदमी ने बिल मांगा। उसने देखा कि बिल बहुत ही कम था। आदमी हैरान रह गया। उसने कैफ़े के मालिक से पूछा, “बिल इतना कम क्यों है?”
कैफ़े के मालिक ने कहा, “हमारे कैफ़े में सभी लोगों के लिए समान खाना होता है। चाहे कोई अमीर हो या गरीब, सभी को एक ही तरह का खाना मिलता है।”
आदमी बहुत प्रभावित हुआ। उसने कैफ़े के मालिक को धन्यवाद दिया और चला गया।
नैतिक शिक्षा: सभी मनुष्य समान हैं। अमीर और गरीब में कोई फ़र्क नहीं होता। हमें सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
6. सीमाओं से पार के सपने
एक बार की बात है एक छोटी लड़की थी। उसका नाम रीमा था। रीमा को बहुत बड़े सपने थे। वह एक डॉक्टर बनना चाहती थी और लोगों की मदद करना चाहती थी।
लेकिन रीमा के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। रीमा के पिताजी एक मजदूर थे और उनकी माँ एक गृहिणी थी। रीमा जानती थी कि उसके सपनों को पूरा करना आसान नहीं होगा।
लेकिन रीमा ने हार नहीं मानी। उसने कड़ी मेहनत की और अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाया। वह हमेशा स्कूल में प्रथम आती थी।
रीमा के शिक्षक और माता-पिता उससे बहुत खुश थे। उन्होंने रीमा को डॉक्टर बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
रीमा ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया और उसने अपनी पढ़ाई पूरी की। आज रीमा एक सफल डॉक्टर है। वह लोगों की मदद कर रही है और अपने सपनों को पूरा कर रही है।
नैतिक शिक्षा: हमें अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए।
7. छोटे कार्य, बड़ा प्रभाव
एक बार की बात है एक छोटी सी चींटी थी। वह बहुत ही मेहनती और लगनशील थी। एक दिन चींटी को एक बड़ा सा अनाज मिला। वह उसे अपने बिल तक ले जाना चाहती थी।
चींटी ने अनाज को उठा लिया और चलने लगी। लेकिन अनाज बहुत भारी था। चींटी उसे अकेले नहीं ले जा पा रही थी।
चींटी ने हार नहीं मानी। वह पास में काम कर रही चींटियों से मदद मांगने गई। चींटियों ने चींटी की मदद करने का फैसला किया।
सभी चींटियां मिलकर अनाज को उठाने लगीं। थोड़ी देर में चींटियों ने अनाज को बिल तक ले जाकर रख दिया।
चींटियां बहुत खुश थीं। उन्होंने मिलकर एक बड़ा काम कर दिया था।
नैतिक शिक्षा: जब हम मिलकर काम करते हैं तो बड़े से बड़े काम भी आसानी से हो जाते हैं।
8. कारपेंटर की दयालुता
एक बार की बात है एक कारपेंटर था। वह बहुत ही दयालु और मददगार था। एक दिन कारपेंटर जंगल में जा रहा था। उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी भारी बोझ लेकर जा रहा है।
कारपेंटर ने बूढ़े आदमी से कहा, “मैं आपकी मदद कर सकता हूं?”
बूढ़े आदमी ने कहा, “हां, मेरी मदद करोगे तो बहुत अच्छा होगा। मैं यह बोझ अपने घर तक नहीं ले जा पा रहा हूं।”
कारपेंटर ने बूढ़े आदमी से बोझ ले लिया और उसे उसके घर तक ले गया। बूढ़े आदमी को बहुत खुशी हुई। उसने कारपेंटर को धन्यवाद दिया।
कारपेंटर ने कहा, “आपका स्वागत है। मुझे खुशी है कि मैं आपकी मदद कर सका।”
नैतिक शिक्षा: हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। जब हम दूसरों की मदद करते हैं तो उन्हें खुशी होती है और हमें भी खुशी मिलती है।
9. लोमड़ी और अंगूर
एक बार की बात है एक लोमड़ी को एक पेड़ पर अंगूरों का एक गुच्छा दिखाई दिया। अंगूर बहुत ही लाल और स्वादिष्ट लग रहे थे। लोमड़ी को बहुत भूख लगी थी। वह अंगूरों को खाना चाहती थी।
लोमड़ी ने पेड़ पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन वह चढ़ नहीं पा रही थी। वह बार-बार कोशिश करती, लेकिन वह असफल हो जाती।
अंत में लोमड़ी ने हार मान ली। उसने कहा, “ये अंगूर तो खट्टे हैं ही।”
नैतिक शिक्षा: हमें अपनी सीमाओं को स्वीकार करना चाहिए। हमें उन चीजों को पाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए जो हमारे लिए असंभव हैं।
10. बिल्ली और मछली
एक बार की बात है एक बिल्ली थी। वह बहुत ही चालाक और धूर्त थी। एक दिन बिल्ली को एक नदी के किनारे मछलियाँ दिखाई दीं। बिल्ली को बहुत भूख लगी थी। वह मछलियों को खाना चाहती थी।
बिल्ली ने एक योजना बनाई। वह पानी के पास गई और लेट गई। उसने अपनी आँखें बंद कर ली और मरी हुई होने का नाटक करने लगी।
मछलियों ने देखा कि बिल्ली पानी के पास लेटी है और उसकी आँखें बंद हैं। उन्हें लगा कि बिल्ली मर चुकी है। मछलियाँ बिल्ली के पास आ गईं।
बिल्ली ने मौका पाते ही एक मछली को पकड़ लिया और उसे खा लिया। बाकी मछलियाँ भाग गईं।
नैतिक शिक्षा: हमें चालाकी और धूर्तता से नहीं पेश आना चाहिए। हमें हमेशा ईमानदारी और सच्चाई से पेश आना चाहिए।