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“हिंदी या हिन्दी” दोनों में से कौन सा शब्द लिखने का सही तरीका है? और क्यों? Hindi mein kaise likhte hain?

Hindi mein kaise likhte hain? "हिंदी या हिन्दी" दोनों में से कौन सा शब्द लिखने का सही तरीका है? और क्यों?

तो दोस्तो आज हम जानने वाले हैं, कि “हिंदी या हिन्दी” दोनों में से कौन सा शब्द लिखने का सही तरीका है? और क्यों?(Hindi mein kaise likhte hain?) यह विषय अक्सर चर्चा देखने पढ़ने को मिलता है। तो, आइये आज इस Hindi K blog में जानते हैं कि वास्तव में इस शब्द को लिखने का सही तरीका क्या है?

आगे बढ़ने से पहले हम यह भी स्पष्ट करना चाहेंगे कि इस Blog में जो भी लिखा है वह विद्वानों के साथ हुई हमारी चर्चा और हमारी रिसर्च पर आधारित है। हम किसी प्रकार से भी भाषा विशेषज्ञ नहीं हैं, हम केवल आप तक सही सुचना पहुँचाने का कार्य करते हैं।

लिखने की सहजता ने ही हिन्दी को ही हिंदी बना दिया है, किसी भी भाषा में किसी भी शब्द को कैसे लिखना है ये बहुत पेचीदा हो सकता है, पर हर भाषा में कुछ स्थापित तरीके होते हैं जिनके ज़रिये ये तय होता है की शब्दों को सही तरीके से कैसे लिखा जाए?

Hindi mein kaise likhte hain 1

सही रूप है हिन्दी। भारत सरकार हिन्दी को हिंदी लिखती है , इसका कारण हिंदी का सही होना नहीं है। इसका कारण 1960 के दशक में किया गया मानकीकरण है। अनुस्वार का प्रयोग पंचम वर्ण के स्थान पर किया जाता है और अनुस्वार को पंचम वर्ण में बदलने का नियम होता है। अनुस्वार के चिह्न (ं) के प्रयोग के बाद आने वाला वर्ण ‘क’ वर्ग, ’च’ वर्ग, ‘ट’ वर्ग, ‘त’ वर्ग और ‘प’ वर्ग में से जिस वर्ग से संबंधित होता है अनुस्वार उसी वर्ग के पंचम-वर्ण के लिए प्रयुक्त होता है।

जिस अक्षर के ऊपर अनुस्वार लगा है उससे अगला अक्षर देखें।
जैसे कंबल –यहाँ अनुस्वार के बाद ब अक्षर है जो प वर्ग का है. प वर्ग का पंचमाक्षर म है इसलिए ये अनुस्वार म वर्ण में बदला जाता है
कंबल……….कम्बल

उसी प्रकार हिंदी अनुस्वार के बाद का अक्षर द है जो त वर्ग का है.. त वर्ग का पंचमाक्षर न है इसलिए ये अनुस्वार न वर्ण में बदला जाता है
हिंदी……….हिन्दी

शब्दो में प्रमुख हैं शब्द का उच्चारण, ध्वनि, प्रचलन, व्याकरण आदि। लिखने के तरीके को हम वर्तनी कहते हैं, ‘हिन्दी’ शब्द लिखने की भी दो प्रचलित वर्तनियाँ हैं। युगों से इसे ‘हिन्दी’ स्वरुप में लिखा जाता रहा है, पर आधुनिक समय में ‘हिंदी’ ने अपनी जगह बनाई।

भारतीय भाषाएं विश्व की समृद्ध भाषाओँ में से एक हैं, फिर चाहे वह तमिल हो, मलयालम हो या हिन्दी हो या अन्य कोई भाषा। इसके विपरीत रोमन भाषाएँ, जैसे अंग्रेजी आदि लिखने पढ़ने में सुगम तो होती हैं, पर इनमे ज्यादा गहराई नहीं है क्योंकि इनमे न तो मात्राएँ हैं न ही 26 अल्फाबेट के अतिरिक्त कुछ और। वहीँ भारतीय भाषाएं स्वरों, व्यंजनों से परिपूर्ण और सटीक हैं। आइये इसको थोड़ा विस्तार से समझने के लिए निचे लिखे बिंदुओं को पढ़ते हैं।

‘हिन्दी शब्द’ को ही व्याकरण और ध्वनि के अनुसार सही माना गया है, देवनागरी में लिखे पौराणिक ग्रंथों और साहित्य रचनाओं में ‘हिन्दी’ ही लिखा मिलता है। पञ्चमाक्षर का सही प्रयोग कर लिखने पर ‘हिन्दी’ ही लिखावट में आता है। (बिंदु) और आधे (न) का उपयोग अलग अलग परिस्थितियों में होता है। जैसे ‘चंद्र’ और ‘चन्द्र’‘फंसना’ और ‘फँसना’‘नन्द’ और ‘नंद’ आदि में ध्वनि के अनुरूप शब्द और मात्राओं का प्रयोग हो रहा है।

टाइपराइटर और कंप्यूटर के आगमन के साथ ही ‘हिंदी’ शब्द का प्रचलन बढ़ा क्योंकि इन यंत्रों में आधे अक्षर (जैसे ‘हिन्दी’ में आधा ‘न’ है ) लिखने की सुविधा नहीं थी। धीरे-धीरे ‘हिंदी’ शब्द लेखन और बोलचाल में पैठ जमाता चला गया। केंद्र सरकार के केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय ने नए वर्तनी मानकीकरण के तहत ‘हिंदी’ को तरजीह दी है इसलिए अब हमें अधिकतर जगह “हिन्दी” की बजाय “हिंदी” ही पढ़ने को मिलता है।

हम इस बात के मजबूत पक्षधर हैं की भाषा के मूल स्वरुप से छेड़छाड़ न की जाए। हम पहले ही बहुत सी स्थानीय बोलियों को खो चुके हैं, कहीं ऐसा न हो की ध्वनियों को खोने से शुरू हुई गतिविधियां भविष्य में भाषा को भी खोखला कर नष्ट कर दें।

भाषा तोड़ बिगाड़कर कर सरल करके लोकप्रिय बनाने दिवास्वप्न है , समझिए कि मूल कारण कहाँ है। वो मूल कारण आपको रोजगार और उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाओं में मिलेंगे। सत्तर के दशक तक हिन्दी माध्यम स्कूल लोकप्रिय थे । लेकिन जब हिन्दी माध्यम से पढा विद्यार्थी उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षा देता था तो हिन्दी का प्रश्न पत्र मौलिक ना होकर अंग्रेजी प्रश्न पत्र का एक ऊँट पटांग अनुवाद होता था । ये अनुवादित भाषा विद्यार्थी के लिए अजनबी होती थी । इन बुरे अनुभवों को अन्यो को बताता था ।

इसलिए सब अंग्रेजी की और मुडने लगे, नहीं तो अपनी मातृभाषा का तिरस्कार अच्छा नही लगता । जब तक मूल कारण है , कोई और प्रयास नहीं काम करेगा। जब समस्या का मूल कारण समाप्त हो जायेगा तो भाषा का तोड़ कर सरल करने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। आज हिन्दी में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करके उसको सरल बनाया जा रहा है , पर हिन्दी में प्राण नहीं आ रहे। अगर अंग्रेजी ही सरल है तो पूरी तरह से अंग्रेजी में क्यों नहीं जा रहे ? वहाँ तो तर्क ये है कि मातृभाषा में ठीक से समझ में आता है , इसलिए अंग्रेजी ठीक नहीं।

आशा है की कंप्यूटर ज्ञान से लैस नवयुवा हिन्दी या हिंदी? जैसी महीन बातों पर ध्यान देंगे और कोशिश करेंगे की भाषा के अनुरूप कंप्यूटर और जुड़ी हुई टेक्नोलॉजी में बदलाव हो ना की इसके उलट। आज के समय में इनपुट साधनों के विकास के चलते हिंदी की वर्तनी से जुड़ी कोई लेखन सम्बंधित चुनौती भी नहीं रह गई है।

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1. “हिंदी” या “हिन्दी” – कौन सा सही है?

व्याकरण और व्युत्पत्ति के लिहाज से “हिन्दी” को अधिक सही माना जाता है। “हिन्द” शब्द से “ई” प्रत्यय लगने से “हिन्दी” बनता है, जो “सिंधु नदी के उस पार” के क्षेत्र को दर्शाता है। वहीं, “हिंदी” में अनुस्वार का अभाव उच्चारण में स्पष्टता नहीं ला पाता।

2. हिंदी कैसे लिखी जाती है? (hindi mein kaise likhte hain)

हिंदी को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। इसमें 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं। देवनागरी लिपि को बाएं से दाएं लिखा जाता है।

3. हिंदी दुनिया में कितनी बोली जाती है?

हिंदी दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह मुख्य रूप से भारत, नेपाल, फिजी, मॉरीशस और सूरीनाम जैसे देशों में बोली जाती है।

4. क्या हिंदी सीखना मुश्किल है?

यह आपकी मूल भाषा पर निर्भर करता है। अगर आप किसी अन्य भारतीय भाषा को बोलते हैं, तो आपके लिए हिंदी सीखना आसान हो सकता है। वहीं, अगर आप किसी यूरोपीय भाषा को बोलते हैं, तो हिंदी सीखने में थोड़ी मेहनत लग सकती है।

5. हिंदी सीखने के लिए कौन से संसाधन उपलब्ध हैं?

हिंदी सीखने के लिए कई संसाधन उपलब्ध हैं, जैसे कि ऑनलाइन कोर्स, मोबाइल ऐप्स, किताबें, फिल्में और टीवी शो। आप किसी हिंदी बोलने वाले व्यक्ति से अभ्यास भी कर सकते हैं।

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